9 वाँ दनाँ अस्यी बात वी के, ईसू गलील का नासरत नगरऊँ आया अन वणा यरदन नंदी में यहुन्ना नकूँ बतिस्मो लिदो।
अन नासरत नाम का नगर में घर बणान रेवा लागग्यो, अस्यान वो बचन पूरो व्यो, ज्यो नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा क्यो हो, “वो नासरी नामऊँ जाण्यो जई।”
जस्यानी पाणीऊँ बारणे निकळ्या तो, वणा देक्यो के, आकास खुल्यो तको अन परमेसर की आत्मा परेवड़ा की जस्यान वींका ऊपरे उतरी।
मूँ थाँने पाणीऊँ बतिस्मो देऊँ, पण वो थाँने पुवितर आत्माऊँ बतिस्मो देई।”
तो पसे वो वाँका हाते नासरत में पाछो आयो अन वाँकी आग्या को पालण करतो रियो। वींकी बई अणा हारी बाताँ ने आपणाँ मनईंमन में राकी।