35 भाग-फाट्याँईं जद्याँ अन्दारो हो, ईसू उटन घरऊँ हून्नी जगाँ में पराग्या, जटे वणा परातना किदी।
जद्याँ ईसू ओ हुण्यो, तो वो नाव पे चड़न वटूँ कणी हून्नी जगाँ में परोग्यो। लोगाँ ओ हुणन समन्द का कनारे-कनारे वाँका पाच्छे वेग्या।
वो लोगाँ ने खन्दान परातना करबा ने एक मंगरा पे पराग्यो अन हाँज हुदी वो एकलो हो।
पण, समोन अन वींकी लारे का हण्डाळ्याँ वींने हमाळबा निकळ्या
पण ईसू हुन्ना काकड़ में जान परातना करता हा।
अन वणा दनाँ में ईसू एक मंगरा ऊपरे परातना करबा का वाते ग्या, अन परमेसरऊँ परातना करबा में हारी रात वितई।
ईसू वाँने क्यो, “मारो खाणो ओ हे के, मूँ मने खन्दाबावाळा की मरजी पे चालूँ अन वींको काम पूरो करूँ, ज्यो वणी मने हुप्यो हे।
ईसू यो जाणन के, “वी लोग मने जबरदस्ती पकड़न राजा बणबा के वाते आरिया हे।” तो वीं एकलाई मंगरा पे परोग्या।
हरेक तरियाँ की अरज अन विनती का हाते आत्माऊँ हर टेम परातना करिया करो। ईं मस जागता रेवो अन हारई पुवितर लोगाँ का वाते हरदाण अरज करता रेवो।
थाँको होच-बच्यार ईसू मसी के जस्यान वेणो छावे।
ईसू अणी धरती का जीवन में ज्यो वींने बंचा सकतो हो, वणीऊँ जोरऊँ हाको करतो तको अन रोते तके अरज अन परातना किदी ही अन नमरता अन भगती का मस वींकी हुण लिदी गी ही।