31 तो ईसू वाँका नके ग्या अन हात पकड़न वाँने बेटा किदा, तो तरत वाँको ताव उतरग्यो अन वीं वाँकी सेवा-चाकरी करबा लागग्या।
वटे नरई लगाया ज्यो गलीलऊँ ईसू की सेवा-चाकरी करती तकी वाँका हाते आई ही, वीं छेटीऊँ ओ देकरी ही।
समोन का हवजी हुता हा, काँके वाँने ताव आरियो हो। जद्याँ ईसू वटे आया तो वाँने वाँका बारा में बतायो ग्यो।
दन आत्याँ केड़े, जद्याँ हाँज पड़गी, तो वटा का मनक हंगळा हुगली आत्माऊँ दकी अन मान्दा मनकाँ ने वाँका नके लाया।
जदी ईसू गलील में हो। तो लुगायाँ वींने मानती अन वींकी सेवा-चाकरी करती, ओरी घणी लुगायाँ ही, ज्यो वींकी लारे यरूसलेम तईं अई ही।
वणा बाळकी को हात पकड़न क्यो, “तलीता कोम।” ईंको मतलब हे “नानी बाळकी मूँ थने कूँ हूँ, थूँ ऊबी वेजा।”
वींने पतरस हात पकड़न ऊबी किदी अन पछे वाँ राडी-बायाँ अन ईसू ने मानबावाळा लोगाँ ने बलान वाँने हूँप दिदी।