हाराई सिरिया देस में वाँको हव हमच्यार फेलग्यो। ईं वाते लोग अस्या हाराई मनकाँ ने ज्यो तरे-तरे की मांदकीऊँ माँदा हा, जणामें हुगळी-आत्मा, जाँने मरगी का जोला आता हा, अन जीं लकवा का माँदा हाँ, वाँने ईसू का नके लाया अन ईसू वाँने हव किदा।
हारई जणा अचम्बा में पड़ग्या अन अतरो अचम्बो व्यो के, वे एक-दूँजा ने पूँछबा लागा, “यो कई हे? यो कई नुवो उपदेस हे? वो हकऊँ हुगली आत्माने आदेस देवे अन वा आत्मा वींने भी माने हे।”
पण, वो बारणे जान चोड़े-धाड़े ईं बात को परच्यार करबा लागो। ईं वाते ईसू कदी नगर में चोड़े-धाड़े ने जा सक्या, पण वीं हून्नी जगाँ में रेरिया हा अन मनक हर कटूँई वाँका नके आता रिया।