11 पछे हरगऊँ अवाज अई के, “थूँ मारो लाड़लो बेटो हे अन मूँ थाँराऊँ घणो राजी हूँ।”
“देको, यो मारो दास हे, जिंने में थरप्यो हे, मारो लाड़लो हे, जणीऊँ मूँ घणो राजी हूँ। मूँ मारी आत्मा वींमें राकूँ अन वो हाराई मनकाँ को न्याव करी।
वो बोलईस रियो हो के, एक चमकते तके वादळे वाँने ढाक दिदा, अन वीं वादळाऊँ आ वाणी निकळी, “ओ मारो लाड़लो पूत हे, जणीऊँ मूँ राजी हूँ। ईंकी हुणो।”
तद्याँ आ आकासवाणी वी के, “यो मारो लाड़लो पूत हे, जणीऊँ मूँ घणो राजी हूँ।”
जस्यानी पाणीऊँ बारणे निकळ्या तो, वणा देक्यो के, आकास खुल्यो तको अन परमेसर की आत्मा परेवड़ा की जस्यान वींका ऊपरे उतरी।
तद्याँ एक बादळो आयो अन वाँपे छाग्यो, बादळाऊँ अस्यान सबद निकळ्यो के, “यो मारो लाड़लो पूत हे, ईंकी हुणो।”
अन पुवितर आत्मा परेवड़ा का जस्यान रूप में आन वाँका ऊपरे उतरी। अन आकासवाणी वींके, “थूँ मारो लाड़लो पूत हे, मूँ थाँराऊँ घणो राजी हूँ।”
अन वणी वादळा मेंऊँ आ वाणी वी के, “यो मारो बेटो हे अन मारो चुण्यो तको हे, ईंकी हुणो।”
में अणा बाताँ ने वेती तकी देकी अन गवई दूँ हूँ के, ‘ओईस परमेसर को पूत हे।’”
काँके परमेसर जगतऊँ अस्यान परेम किदो, वणा आपणाँ एकाएक पूत ने दे दिदो, ताँके ज्यो कुई वींपे विस्वास करे, वी नास ने वेई, पण अनंत जीवन पाई।
परमेसर जणा मने खन्दायो हे, वीं भी मारी गवई देवे हे। थाँकाणी वाँकी वाणी कदी भी ने हूणी अन ने थाँ वींने देक्यो हे।
अबे माँ विस्वास किदो अन ओळकग्या हाँ के, परमेसर का आड़ीऊँ आबावाळो पुवितर मनक थाँईस हो।”
अन परमेसरइस आपाँने सेतान की सगतिऊँ छोड़ान आपणाँ लाड़ला बेटा का राज में ले आया।