10 जस्यानी पाणीऊँ बारणे निकळ्या तो, वणा देक्यो के, आकास खुल्यो तको अन परमेसर की आत्मा परेवड़ा की जस्यान वींका ऊपरे उतरी।
अन तद्याँ ईसू बतिस्मो लिदो अन जस्यानी वो पाणीऊँ बारणे आयो तो आकास खुलग्यो अन वणी परमेसर की आत्माने एक परेवड़ा का जस्यान रेटे उतरती अन आपणाँ माता पे आती देकी।
पछे हरगऊँ अवाज अई के, “थूँ मारो लाड़लो बेटो हे अन मूँ थाँराऊँ घणो राजी हूँ।”
वाँ दनाँ अस्यी बात वी के, ईसू गलील का नासरत नगरऊँ आया अन वणा यरदन नंदी में यहुन्ना नकूँ बतिस्मो लिदो।
अन पुवितर आत्मा परेवड़ा का जस्यान रूप में आन वाँका ऊपरे उतरी। अन आकासवाणी वींके, “थूँ मारो लाड़लो पूत हे, मूँ थाँराऊँ घणो राजी हूँ।”