3 तद्याँ कुई मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा एक-दूजाऊँ केबा लागा, “ओ मनक आपणी वाणीऊँ परमेसर की बुरई कररियो हे।”
ईं बात पे मायाजक आपणाँ गाबा फाड़न अन क्यो, “अणी परमेसर की नन्दयाँ किदी हे, अबे मारे गुवा की कई जरूत ने हे? देको, थाँ अबाणू ईंने परमेसर की नन्दया हामळी हे।
काँके ईसू मनकाँ ने मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा का जस्यान ने, पण हकऊँ उपदेस देता हा।
थाँ ईंने परमेसर की नन्दयाँ करतो तको हुण्यो हे। अबे थाँको कई बच्यार हे?” वे हारई वाँने अपरादी केता तका क्यो, “ईंने मोत की सजा मलणी छावे।”
“मूँ थाँने सई केवूँ, मनक ने हर बात पे मापी मल सके हे, ज्यो वाँका पाप अन परमेसर की नन्दयाँ ज्यो वीं करे, माप किदी जा सके हे।
पण, पुवितर आत्मा की कुई नन्दयाँ करे, तो वींने मापी कदी ने मल सके, काँके वो पाप अनंतकाल तईं बण्यो रेई।”
काँके मनक का मन का मयनेऊँ खराब बच्यार, कुकरम, चोरी, हत्या,
जद्याँ मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसी आपस में बात करबा लागा के, “ओ कूण हे? ज्यो परमेसर की नन्दयाँ करे हे। परमेसर ने छोड़न कूण पाप माप कर सके हे?”