“वीं आपणाँ हाराई काम लोगाँ ने बतावा का वाते करे हे। वीं हात अन माता पे बांदबा वाळा आपणाँ ताबीजा ने जिंमें वीं सास्तर ने लिकता हा, वाँने मोटा करे हे अन आपणी जोळ्या ने वदावे हे। ताँके मनक वाँने धरमी हमजे।
वो गाम, सेर अन वस्ती में कटे भी जातो हो, तो लोग-बाग आपणाँ माँदा मनकाँ ने बजार का चोगान में राक देता अन वींऊँ परातना करता तका केता के, वो आपणाँ गाबा को एक कोर भी वाँके अड़ाबा दे। तो ज्यो भी वीं कोर के अड़ता, वे हंगळा हव वे जाता।
थरप्या तका का कामाँ की वजेऊँ लोग-बाग माँदा मनकाँ ने गेला में लान खुतलियाँ पे हुवाण देता, ताँके जद्याँ भी पतरस अटने निकळे, तो कमुकम वींकी छाया आ माँदा मनकाँ पे पड़ जावे।