अन हे कफरनूम, कई थूँ बच्यार करे हे के, थने हरग में उटायो जाई? थूँ तो पाताळ में नाक्यो जाई। जीं अचम्बा का काम थाँरा में किदा ग्या, यद्याँ सदोम में किदा जाता, तो वटा का मनक आपणाँ मना ने पापऊँ फेर लेता अन आज तईं वो नगर बस्यो तको रेतो।
तद्याँ रोमी सेनापती अन ज्यो वींका हाते ईसू के पेरो देरियो हाँ, भूकम अन ज्यो कई व्यो हो, वींने देकन घणा दरपग्या अन क्यो, “हाँचई में ओ परमेसर को पूत हो।”
हो सपायाँ का हाकम, ज्यो ईसू का हामे ऊबो हो, वींने बोलतो तको हुण्यो अन देक्यो के, वींको जीव कस्यान निकळयो। वणी क्यो, “ओ मनक हाँची में परमेसर को पूत हो।”
तद्याँ सेनापती अदिकारियाँ मूँ दो ने बलान क्यो, “दोस्ये सपई, हित्तर घुड़ सवारीवाळा, अन दोस्ये भाला चलाबावाळा सपायाँ ने आज रात नो बज्याँ केसरिया देस जाबा के वाते त्यार राको।
जद्याँ थोड़ो-थोड़ो लंकव का आड़ीऊँ वइरो बाजबा लागो, तो वाँकाणी होच्यो के जस्यान वणा मन में धारियो हो वस्यानीस वे जाई, ईं वाते लंगर काड़ दिदो अन क्रेता का कनारे-कनारे जाबा लागा।
लिद्दा देस यापा नगर का भडे़ई हो। तो चेला जद्याँ ओ हुण्यो के पतरस लिद्दा में हे, तो वाँकाणी वींका नके दो मनक खन्दाया ताँके वीं वींऊँ अरज करे, “करपा करन, हट माकाँ नके आजा।”