ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
यद्याँ माँ ब्याव किदो तको वेतो तो कई माँ खन्दाया तका चेला ने ओ अदिकार ने हे के, माँ माँकी लुगायाँ ने आपणाँ हाते ले जावाँ, जस्यान दूजाँ खन्दाया तका चेला पतरस अन परबू के भई किदो हो?
एक मण्डली को परदान बना दोसवाळो वेणो छावे, वींके एकीस लुगई वे, खुद ने बंस में राकबावाळो, धीरज करबावाळो अन मरयादा में रेबावाळो, वो आपणाँ घर में अणजाण की भी आवभगत करे, वो हिकावाबाळा वेवे।
अस्यान का मनक ब्याव करबा ने गलत अन खाबा की कई चिजाँऊँ रका राकबा की हिक देई, पण परमेसर वणा चिजाँ ने ईं वाते बणई के, विस्वास अन हाँच ने जाणबावाळा वाँने परमेसर को धन्नेवाद देन खावे।
ब्याव को हाराई ने मान करणो छावे। लोग-लुगई एक-दूँजा का वाते वफादार रेवो। काँके दूजाँ का हाते गलत वेवार राकबावाळा लोग-लुगई ने अन कुकरम करबावाळा ने परमेसर सजा देई।