27 अन बरका वरी, अन नंदी अई, अन वीं घरऊँ टकराई अन वो हड़ीन धुळा भेलो वेग्यो।”
अन बरका वरी अन नंदी ढावा ऊपरे आई अन डूँज चाली, अन वीं घर पे लागी, पछे भी वो घर ने हड़्यो, काँके वाँकी नीम छाँट पे बणईगी ही।
“पण ज्यो कुई मारी ईं बाताँ हुणे हे अन वो वाँने ने माने हे, तो वो वीं बना अकल का मनक का जस्यान वेई जणी आपणो घर रेत पे बणायो।
जद्याँ ईसू बाताँ कर चुक्यो, तो अस्यान व्यो के, भीड़ वाँका उपदेस हुणन अचम्बो करबा लागी।
तो हाराई का काम का गुण हामे आ जाई, काँके अन्त की टेम यो वादीऊँ हामे आई अन वादी हाराई का काम की परक करी के, वणी कस्यान काम किदो।