26 “पण ज्यो कुई मारी ईं बाताँ हुणे हे अन वो वाँने ने माने हे, तो वो वीं बना अकल का मनक का जस्यान वेई जणी आपणो घर रेत पे बणायो।
“ईं वाते ज्यो कुई मारी ईं बाताँ हुणन वाँने माने हे, वो वीं अकलवाळा मनक जस्यान वेई जणी आपणो घर छाँट पे बणायो।
अन बरका वरी अन नंदी ढावा ऊपरे आई अन डूँज चाली, अन वीं घर पे लागी, पछे भी वो घर ने हड़्यो, काँके वाँकी नीम छाँट पे बणईगी ही।
अन बरका वरी, अन नंदी अई, अन वीं घरऊँ टकराई अन वो हड़ीन धुळा भेलो वेग्यो।”
पण जी हुणे अन ने माने, वी वणी मनक का जस्यान वेई, जणी आपणो घर बना नीम को बणायो अन जद्याँ बाड़ अई, तो घर तरत धड़ग्यो अन नंसगी नास वेग्यो।
अरे ए मुरक, थूँ ओ जाणणो छावे के करम बना विस्वास बेकार हे?