जद्याँ घर को मालिक पोळ का कमाड़ बन्द कर देवे अन थाँ बारणे ऊबा वेन पोळ की हाँकळ वजान केवो, ‘ओ स्वामी जी, माकाँ वाते कमाड़ खोल दो।’ “वो जबाव दे के, ‘मूँ थाँने ने जाणूँ हूँ अन थाँ कटा का हो?’
पण परमेसर की पाकी नीम हाले कोयने, जिंपे आ छाप लागरी हे के, “परबू आपणाँ मनकाँ ने जाणे हे,” अन, “ज्यो कुई परबू को नाम लेवे हे, वींने बुरा कामऊँ बच्यो तको रेणो छावे।”
पण जादु-टोना करबावाळा, कुकरमी, हत्यारा, मूरती पुजबावाळा, अन हरेक तरियाऊँ जूट पे चालबावाळा, जूटऊँ परेम करबावाळा ईं अड़क्या गण्डकड़ा का जस्यान हे अन ईं हाराई नगरऊँ बारणे पड़्या रेई।