10 कन माछळी मांगे, तो वो वाँने हाँप देवे हे?
ईं वाते यद्याँ थाँ बुरा वेता तका भी आपणाँ छोरा-छोरी ने हव चिजाँ देणी हव हमज्यो हो, तो थाँरो हरग को बाप परमेसर माँगबावाळा ने हव चिजाँ काँ ने देई?
“थाँकामूँ अस्यो कूण मनक हे के, यद्याँ वींको छोरो वणीऊँ रोटी मांगे तो वो वींने भाटो देवे हे?
“जीं तरिया मूसे काकड़ में पीतळ का हाँप ने ऊसो उटायो हो, वणीस रितीऊँ जरूरी हे के, मनक को पूत भी ऊसो उटायो जाई।
पण मने दरपणी लागे हे, काँके कदी अस्यान ने वेजा के, जस्यान धरती की पेली लुगई ज्या हवा ही, वींने हाँप आपणी चालऊँ भटका दिदी ही, वस्यानीस ईं थाँका मन भी मसी की भगतीऊँ अन पवितरताऊँ ज्यो आपाँने मसी का वाते राकणी छावे, वणीऊँ भटका ने दिदो जावे।