3 पण जद्याँ थूँ दान करे, तो ज्यो थारो जीमणा हात करे हे, वींकी थाँरा डावा हात ने खबर ने पड़णी छावे।
वो ने कदी कणीऊँ लड़ई करी, अन नेई हाका-भार करी, अन नेई बजार में कुई वींकी अवाज हूणी।
“ईं वाते जद्याँ थाँ कणी जरुतवाळा ने दान देवो हो तो आपणी बड़ई मती करज्यो, जस्यान के परातना घर में अन गेला-गाटे कपटी मनक दूजाऊँ आपणी बड़ई करबा का वाते करे हे। मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, वाँने वाँको फळ पेल्याई दिदो जा चुक्यो हे।
ईंऊँ थाँको दान एकदम छाने रेई अन थाँको बाप ज्यो छानेकूँ थाँ करो हो वींने देके हे, वो थाँने ईंको फळ देई।
ईसू वणीऊँ क्यो, “देक, ईंका बारा में किंने केज्ये मती पण जान आपणाँ खुद ने याजकाँ ने बता अन ज्या बोलमा मूसे चढाबा के वाते बतई हे वींने चढा, जणीऊँ मनकाँ ने यो सबूत मल जावे के, थाँरो कोड़ जातो रियो।”
अन वाँकी आक्याँ खलगी। ईसू वाँने चेताते तके क्यो, “ध्यान राकज्यो, ईं बाताँ का बारा में किंने पतो ने चालणो छावे।”
यद्याँ कुई भी मनक प्रसिद वेणो छावे तो वो छुपन कई ने करे। थूँ यो काम करे हे, तो आपणाँ खुद ने दनियाँ का हामे परगट कर।”