26 हवा में ऊड़बा वाळा जीव-जनावराँ ने देको! वीं ने तो कुई बोवे हे, ने कई काटे हे, अन नेई बकारिया में धान भरे हे! तद्याँ भी थाँको हरग को बाप वाँको पेट भरे हे। कई थाँ वणाऊँ खास कोयने हो?
काँके बना विस्वासवाळा मनक ईं हारी चिजाँ का पाच्छे दोड़ता रेवे हे, अन थाँके हरग को बाप जाणे हे के, थाँके ईं हारी चिजाँ छावे हे।
“थाँकामूँ अस्यो कूण मनक हे के, यद्याँ वींको छोरो वणीऊँ रोटी मांगे तो वो वींने भाटो देवे हे?
पसे वणी मनक क्यो, ‘मूँ ओ करूँ हूँ के, मारी बकारियाँ ने तोड़न मोटी वणाऊँ, अन पसे वाँमें हारी हाक अन दूजी हारी चिजाँ मेलू।