ईसू वाँने क्यो, “थाँने परमेसर का राज का भेद ने हमजबा की हमज दिदी गी हे, पण दूजाँ ने ईं बात ने केणी में हुणई जावे हे के, “‘वीं देकता तका भी ने देके अन हूणता तका भी ने हुणे।’”
पण देह को मनक परमेसर की आत्मा की बाताँ गरण ने करे, काँके वीं बाताँ वींकी देकणी में बेण्डापणा की बाताँ हे अन ने वो वाँने जाण सके हे काँके वाँ बाताँ की परक आत्मिक रितऊँ वेवे हे।
पण ज्यो भी मनक आपणाँ विस्वासी भईऊँ दसमणी राके हे, वो अबाणू भी अंदारा मेंईस भटकतो रेवे हे अन अंदारा मेंईस जीवन जीवे हे। वो यो भी ने जाणे के, ईं अंदारा का मयने कटे जारियो हे। काँके अंदारे वींने आंदो कर दिदो हे।