6 धन्ने हे वी ज्यो धरम का काम करबा में आगता रेवे हे, परमेसर वाँकी मरजी पुरी करी।
वणी भूका ने हव चिजाँऊँ भर दिदा अन रिप्यावाळा ने खाली हाताई काड़ दिदा।
धन्ने हो थाँ, जी भूका हो, थाँ धपाया जावो, धन्ने हो थाँ, जो आज रोवो हो, थाँ आगेऊँ आणन्द मनावो।”
हो धाप्याँ तका धिकार हे थाँने, थाँ भूका वेवो अन हो आणन्द मनाबावाळा धिकार हे थाँने, काँके थाँ रोवो अन होक करो।
पण ज्यो कुई वो पाणी पीई ज्यो मूँ वाँने देऊँ, वाँने पाच्छी कदी तर ने लागे। पण ज्यो पाणी मूँ वाँने देवूँ, वो वींमें अनंत जीवन देबावाळी नंदी बण जाई।”
वीं खाणा वाते मेनत मती करो, ज्यो वासी जावे हे। पण वीं खाणा का वाते मेनत करो, ज्यो अनंत जीवन का वाते हे। अन यो खाणो मनक को पूत थाँने देई, काँके परमेसर वींने यो अदिकार दिदो हे।”
पछे तेवार के आकरी दन ज्यो खास दन वेतो हो। वीं दन ईसू ऊबो वेन जोरऊँ क्यो, “यद्याँ कुई तरियो वे तो मारा नके आवे अन पिवे।
वाँने ने तो भूक लागी अन नेई वाँने कदी तर लागी। सुरज की तपत अन तावड़ाऊँ भी वाँके कई ने वेई।