45 जणीऊँ थाँ आपणाँ हरग का परम बापू की ओलाद केवावो, काँके वीं भला अन बुरा दुयाँ पे आपणो सुरज उगावे हे, अन धरमी अन पापी दुयाँ पे बरका वरावे हे।
धन्ने हे वीं, जीं मेल-मिलाप को काम करे हे, काँके वीं परमेसर का छोरा-छोरी केवाई।
पण थाँ आपणाँ दसमणाऊँ परेम राको अन भलई करो, अन पाच्छा पाबा की आस ने राकन उदार दो, तद्याँ थाँने मोटो ईनाम मली अन थाँ परबू परमेसर की ओलाद केवावो, काँके परमेसर आग्या ने मानबावाळा अन पापी मनकाँ पे भी दया करे हे।
यद्याँ थाँ एक-दूजाऊँ परेम राको, तो अणीऊँ हाराई जाण जाई के, थाँ मारा चेला हो।”
पण तद्याँ भी वो भलई करतो तको खुद की गवई देतो रियो, आकासऊँ बरका वरई, हारी रिता में हव हाक देतो रियो अन थाँको मन आणन्दऊँ भरतो रियो।”
ईं वाते लाड़ला छोरा-छोरी के जस्यान ज्यो परमेसर करे वस्यानीस करो।
ताँके थाँ ईं टेड़ी अन नसंगी हुगली पीड़ी का बचमें परमेसर का खरा, स्यवकार अन बना दोस का छोरा-छोरी वे जावो। थाँ अस्यी दनियाँ में तारा के जस्यान चमको,
ज्यो भी मनक परमेसर को बेटा बणग्यो हे, वो पाप में रेवे हे, काँके वींके मयने मसी वास करे हे। ईं वाते वो पाप करतो ने रेवे, काँके वो परमेसर को बेटो बणग्यो हे।