4 धन्ने हे वीं ज्यो रोवे हे, काँके परमेसर वाँने सान्ती देई।
पण अबराम वणीऊँ क्यो, “हे बेटा, याद कर के, थें आपणाँ आकाई जीवन में हारी हव चिजाँ को भोग कर नाक्यो हे अन अणीस तरिया लाजर खराब चिजाँ को किदो। पण, अबे यो अटे सान्ती पारियो हे अन थूँ दुक में पड़न तड़परियो हे।
धन्ने हो थाँ, जी भूका हो, थाँ धपाया जावो, धन्ने हो थाँ, जो आज रोवो हो, थाँ आगेऊँ आणन्द मनावो।”
हो धाप्याँ तका धिकार हे थाँने, थाँ भूका वेवो अन हो आणन्द मनाबावाळा धिकार हे थाँने, काँके थाँ रोवो अन होक करो।
अन वींका पाच्छे ऊबी रेन, रोती तकी आपणाँ आसूऊँ वींका पगाँ ने आला करन आपणाँ केसऊँ पोछबा लागी, अन वींका पगाँ के बोका देन अंतर लगाबा लागी।
पण ईसू वी लुगईऊँ क्यो, “थाँरा विस्वासऊँ थूँ बंचगी हे, राजी खुसीऊँ परी जा।”
वो मनक धन्न हे, ज्यो परक्यो जाबा की टेम में अटल रेवे हे, काँके वो परकबा का केड़े वो खरो मनक बणन, वो जीवन को मुकट पाई, जिंने परमेसर आपणाँ परेम करबावाळा ने देबा का वाते राक वादो कर मेल्यो हे।
अन वो वाँकी आक्याँ का आसूँ पुछ नाकी अन ईंका केड़े मोत ने रेई, अन ने होक, ने रोणो-धोणो, ने पिड़ा रेई, काँके पेल्याँ की बाताँ जाती री ही।”