15 मनक दिवो लगान कणी ठामड़ा का रेटे ने मेले हे, पण वींने आल्याँ में मेले, ताँके घर का हाराई मनकाँने उजितो मल सके।
पछे ईसू वाँने क्यो, “दिवाण्या ने लगान ठामड़ा कन माचा का रेटे ने मेले पण वींने आल्याँ में मले।
“दिवो लगान कूण वींने हपी तकी जगाँ में कन पसे कणी ठामड़ा का रेटे ने मेले हे, पण वो वींने आल्याँ में मेले हे, ताँके मयने आबावाळा ने उजितो मले।
ईं वाते यद्याँ थाँकी आकी देह उजितो हे अन वींको कस्यो भी भाग अन्दारावाळो ने रेवे, तो आकी देह अस्यो उजितो देई, जस्यान दिवो हगलती दाण आपणी चमकऊँ थाँने उजितो देवे हे।”
“कुई भी मनक दिवाण्या ने ठामड़ा का रेटे ने मेले हे, अन नेई माचा का रेटे राके हे, पण वींने आल्याँ में मेले हे ताँके में आबावाळा ने उजितो मले।
ताँके थाँ ईं टेड़ी अन नसंगी हुगली पीड़ी का बचमें परमेसर का खरा, स्यवकार अन बना दोस का छोरा-छोरी वे जावो। थाँ अस्यी दनियाँ में तारा के जस्यान चमको,
एक तम्बू बणायो ग्यो हो, जिंका पेला कमरा में दिवो मेलबा को आळ्यो, टेबल अन भेंट की रोट्याँ ही, वा पुवितर जगाँ केवाती ही।
ईं वाते होस में आ अन ओ होच के, थूँ कटेऊँ पड़्यो, थूँ आपणो मन बदल अन पेल्याँ का जस्यान काम कर अन जद्याँ थूँ अस्यान ने करी, तो मूँ थाँरा नके आन थाँरा दिवा ने वींकी जगाँऊँ छेटी कर देऊँ।