पछे सेतान वणीऊँ क्यो, “यद्याँ थूँ परमेसर को पूत हे तो अटेऊँ रेटे कुद जा, काँके सास्तर में ओ लिक्यो हे, “‘वीं थारी हार-हमाळ का वाते हरग-दुताँ ने खन्दाई अन वीं थने हातु-हात तोक लेई ताँके थाँरा पगाँ के भाटा की ने लाग जावे।’”
कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे, वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो, पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो, अन हरग-दुत जिंने देक्यो, देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो, दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो, अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।