8 वीं लुगायाँ दरपी तकी अन आणन्द का हाते कबर पूँ वाँका चेला ने हव हमच्यार देबा का वाते दोड़न गी।
अन जट जावो अन वींका चेलाऊँ केवो के, ‘वो मरिया तका मूँ जी उट्यो हे, अन वो थाँका हाराऊँ पेल्या गलील जावे हे, वटे वींको दरसण पावो!’ देको, में थाँकाऊँ के दिदो, वींने आद राकज्यो।”
तद्याँ अणाचेत का ईसू वाँने मल्यो अन क्यो, “थाँने सान्ती मले।” वीं वाँका नके आन वाँके पगा पड़गी अन वाँकी मेमा करबा लागी।
दरप अन अचम्बा में डूबी तकी लुगायाँ कबर पूँ बारणे निकळन भागी। वाँ किंनेई कई बात ने बतई ही, काँके वीं घणी घबरई तकी ही।
मूँ थाँने सई-सई केवूँ हूँ के, थाँ रोवो अन होक करो, पण आकी दनियाँ राजी वेई। थाँने दुक वेई, पण थाँको दुक सक में बदल जाई।
ईं वाते थाँने भी अबाणू दुक हे, पण मूँ थाँकाऊँ पाछो मलूँ अन थाँको जीवड़ो खुसीऊँ भर जाई अन थाँकी खुसी थाँकाऊँ कुई ने कोस सकी।