5 तद्याँ हरग-दुत वणा लुगायाऊँ क्यो, “दरपो मती, मूँ जाणूँ हूँ के, थाँ ईसू ने ज्यो हूळी पे चड़ायो ग्यो हो वींने होदो हो।
तद्याँ ईसू तरत वाँकाऊँ क्यो, “हिम्मत राको! मूँ हूँ, दरपो मती!”
तद्याँ ईसू वाँने क्यो, “दरपो मती। मारा भायाँ ने जान केवो के, वीं गलील परा जावे, वीं मने वटेईस देकी।”
वींकी दरपऊँ कबर की रुकाळी करबावाळा धुंज ग्या अन मरिया तका के जस्यान वेग्या।
पछे वीं मोट्यार वाँने क्यो, “दरपो मती, थें ज्यो ईसू नासरत नगर को रेबावाळो हो, जिंने थाँ होदरी हो, जिंने हूळी पे चड़ायो हो, वो जीवतो वेग्यो हे। वो अटे कोयने हे। ईं जगाँ ने देको, जटे वींने मेल्यो हो।
तद्याँ हरग-दुत वींने क्यो, “मरियम दरपे मती, परबू परमेसर की दया थाँरा पे हे।
जद्याँ वीं दरपगी अन रेटे मुण्डो करन ऊबी वेगी, तो वणा मनकाँ लुगायाऊँ क्यो, “थाँ जीवता ने मरिया तका में काँ होदो हो?
पण, परमेसर वींने मोत का दकऊँ छुड़ान पाछो जीवतो कर दिदो, काँके वाँका वाते ओ वे ने सके के, मोत वींने आपणाँ बस में राके।
तो पछे हरग-दुत कई हे? कई वीं हाराई हरग-दुत छुटकारो पाबावाळा मनकाँ की सेवा करबा का वाते खन्दई तकी आत्मा ने हे?