4 वींकी दरपऊँ कबर की रुकाळी करबावाळा धुंज ग्या अन मरिया तका के जस्यान वेग्या।
वीं लुगायाँ गेला मेंईस ही अन रुकाळी करबावाळा मूँ कुई नगर में आन हारई हाल मुक्य याजकाँ ने बता दिदो।
वींको रूप विजळी का जस्यान अन वाँका गाबा बरप का जस्यान धोळा-फट हा।
तद्याँ हरग-दुत वणा लुगायाऊँ क्यो, “दरपो मती, मूँ जाणूँ हूँ के, थाँ ईसू ने ज्यो हूळी पे चड़ायो ग्यो हो वींने होदो हो।
तद्याँ अदिकारी उजिता वाते पूँछ्यो अन दरपन धूजतो तको पोलुस अन सिलास के पगाँ पड़ग्यो,
जद्याँ में वींने देक्यो, तो वाँका पगा में मरिया तका मनक का जस्यान पड़ग्यो। पछे वणा आपणाँ जीमणो हात मारा पे राकन माराऊँ क्यो, “दरपे मती मूँ पेलो अन आकरी हूँ।