पण परमेसर की पाकी नीम हाले कोयने, जिंपे आ छाप लागरी हे के, “परबू आपणाँ मनकाँ ने जाणे हे,” अन, “ज्यो कुई परबू को नाम लेवे हे, वींने बुरा कामऊँ बच्यो तको रेणो छावे।”
वो वींने मोटा पाताळ में नाक दिदो अन वींके ऊपरे मोर लगा दिदी के, ओ एक हजार वरा तईं मनकाँ ने ने भरमाई, पण ईंका केड़े थोड़ाक टेम का वाते ईंने छोड़ दिदो जाई।