65 पिलातुस वाँने क्यो, “थाँ पेरा का वाते रुकाळ्या ले जावो अन आपणी हमज का जस्यान रुकाळी करो।”
ईं वाते हुकम दो के, तीजा दन तईं कबर की रुकाळी करी जावे, अस्या ने वे के, वाँका चेला आन वींने चुरा लेजा अन लोगाऊँ केबा लागा के, ‘वो मरिया तका मेंऊँ जी उट्यो हे। तद्याँ यो धोको पेल्या का धोकाऊँ भी मोटो वेई।’ ”
तद्याँ वीं रुकाळ्या ने हाते लेन पराग्या। अन भाटा पे मोर लगान कबर की रुकाळी किदी।