5 तद्याँ वो वणा सिक्का ने मन्दर में फेंकन परोग्यो अन जान आपणाँ खुद के फाँसी लगा दिदी।
अन क्यो, “अणी मनक क्यो हे के, ‘मूँ परमेसर का मन्दर ने हण्ड़ा सकूँ हूँ अन वींने तीन दन में पाछो बणा सकूँ हूँ।’”
मुक्य याजकाँ वणा सिक्का ने लेन क्यो, “आने मन्दर का भण्डार में राकणा हव कोयने, काँके ओ लुई को मोल हे।”
अन बारणे लोग जकरय्या की वाट नाळन अचम्बो करबा लागा के, वींने मन्दर में अतरी टेम कस्यान लागी?
तद्याँ परमेसर की सेवा करबावाळा की रिति-रिवाज के जस्यान मन्दर में धुप-ध्यान करबा का वाते परच्याँ नाकी अन परची जकरय्या का नाम की निकळी। अन वो परबू का मन्दर में ग्यो हो।