49 पण दूजाँ क्यो, “ठम जावो, देको एलियो, ईंने बंचाबा आवे हे के ने।”
वाँका मूँ एक तरत दोड्यो, अन रुँई का फूबाँ ने खाटा अंगूरा का रस में डबोक्यो अन लाकड़ी पे मेलन वींने सुकायो।
तद्याँ ईसू ज्योरऊँ हाका-भार करन जीव छोड़ दिदो।