59 मुक्य याजकाँ अन हारी पंचात ईसू ने मार नाकबा का वाते वाँका विरोद में जूटी गवई का ताक में हाँ।
पण मूँ थाँकाऊँ यो केऊँ हूँ के, ज्यो कुई आपणाँ भई पे रीस करी, वो सबा में दण्ड के जोगो मान्यो जाई। ज्यो कुई आपणाँ भई ने बेजत करी वींने मोटी सबा में दण्ड के जोगो मान्यो जाई। ज्यो कुई आपणाँ भई ने हराप देवे हे, वो नरक की वादी के जोगो वेई।
तद्याँ मोटे याजक ईसुऊँ वाँका चेला का बारा में अन वाँकी हिक का बारा में पूँछ्यो।
पछे थूँ माराऊँ कई पूछे हे? हुणबावाळाऊँ पुछ के, में वाँकाऊँ कई क्यो। वीं जाणे हे के, में कई-कई क्यो।”