50 ईसू वींने क्यो, “हे दोस्त, जीं काम का वाँते थूँ आयो हे, वींने करले।” पछे भीड़ का मनकाँ नके आन ईसू ने बंदी बणा लिदा।
जमींदार वाँका मूँ एक ने क्यो, ‘हे भई, मूँ थाँकाऊँ कुई बुरो ने कररियो हूँ। कई आपाँ एक चाँदी का सिक्को देबा को ते ने किदो हो?
अन राजा वींकाऊँ क्यो, ‘भई, थूँ अटे बना ब्याव का गाबा पेरिया कस्यान आग्यो?’ अन वो कई भी ने बोल्यो।
पण ईसू वणीऊँ क्यो, “ए यहूदा, कई थूँ एक बोको देन मूँ मनक का पूत ने धोकाऊँ पकड़वारियो हे।”