49 अन पछे वो ईसू का नके आन क्यो, “हो गरुजी, नमस्कार।” अन वाँके बोको दिदो।
बजार में नमस्कार अन वाँने खुद ने गरुजी केवाणो हव लागे हे।
“पण थाँ मनकाँऊँ खुद ने ‘गरुजी’ मती केवाज्यो, काँके थाँको तो एकीस गरू हे, अन थाँ हाराई जस्यान हो।
जद्याँ वींने पकड़ाबावाळे यहुदे इसकरियोती क्यो के, “हो गरू, कई वो मूँ हूँ?” ईसू वींने क्यो, “हाँ, अस्यानीस हे ज्यो थें क्यो हे।”
ईसू ने धोकाऊँ पकड़ाबावाळा भीड़ ने इसारो किदो हो, “जिंके मूँ बोको देऊँ वोईस ईसू हे, वींने पकड़ लिज्यो।”
पछे वींकी रोळ करबा के वाते नमस्कार करन केबा लागा, “यहूदियाँ का राजा की जे हो।”
थें मारे स्वागत में बोको ने दिदो, पण जद्याँऊँ मूँ आयो हूँ तद्याँऊँ या मारा पगा के बोका देती तकी ने ठमी हे।
अन वींका नके आन क्यो, “यहूदियाँ का राजा अमर रेवे!” अन वींके रेपटाँ मेली।
वीं दाण चेला ईसुऊँ अरज करबा लागा, “हो गरुजी, कई खई लो।”
हाराई विस्वास्याँ के गळे मलन जे मसी की करिया करो।