31 तद्याँ ईसू वाँकाऊँ क्यो, “थाँ हाराई आज की रात में मने छोड़न भाग जावो। काँके सास्तर में लिक्यो हे के, “‘मूँ गवाळ ने मारुँ अन रेवड़ का गारा वखर जई।’”
वीं मनक धन्न हे, ज्याँने मने मानबा में कई सक ने हे।”
मनक का पूत ने तो मरणोइस हे, जस्यान वाँका वाते लिक्यो हे, पण ज्यो मनक का पूत ने पकड़ाई, वींका वाँते घणी दुक बात वेई। वीं मनक के वाते आ बात घणी हव वेती, जदी वो जनमई ने लेतो।”
पण ओ हारोई ईं वाते व्यो के, परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा की बाताँ पुरी वेवे।” तद्याँ हाराई चेला वींने छोड़न भागग्या।
देको, वा टेम आरी हे पण आगी हे के, थाँ हाराई अटने-वटने वेन आपणो आपणो गेलो नापो, अन मने एकलो छोड़ देवो। पण मूँ एकलो कोयने काँके बापू मारे लारे हे।