मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, ज्यो अटे ऊबा हे, वाँका मूँ कुई अस्या हे के, वीं जद्याँ तईं मनक का पूत ने वींका राज में आता तका ने देक लेई, जद्याँ तईं वाँने मोत ने आई।”
वाँ हारई मनकाँ के हामे कोयने, पण बेस वाँ गवा के हामे, जो पेल्याँई परमेसर का हातऊँ थरप्या ग्या हा, ज्याँकाणी मरिया तकाऊँ जीवता व्या केड़े वाँकी लारे खादो-पीदो हो।
विस्वास का मालिक अन वींने सिद करबावाळा ईसू मसी का आड़ी आपाँ देकता रा। जणी आपणाँ हामें राक्या तका आणन्द का वाते लाज-सरम की चन्ता ने किदी अन हूळी पे दुक जेल्यो अन परमेसर की गादी के जीमणे पाल्डे जान बेटग्यो।
वीं मनक गादी का हामें, च्यारई जीवता जीव का हामे अन पुरवजाँ का हामे नुवो गीत गारिया हा। अन ईं गीत ने वीं एक लाक चमालिस हजार मनक ज्याँने धरती का बन्धनऊँ छुड़ाया ग्या हा, वाँने छोड़न कुई भी ओ गीत ने हिक सकतो हो।
काँके ज्यो उन्यो गादी का बचमें में हे वो वाँकी रुकाळी करी। अन वो वाँने जीवन देबावाळा पाणी की सोता का नके लेन जाई अन परमेसर वाँकी आक्याँ का हाराई आसूँ पुछ देई।”