ज्यो भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा मानन मानी, वो भविसवक्ता का जस्यान फळ पाई। अन ज्यो धरमी मनक ने धरमी मानी, वो धरमी का जस्यान फळ पाई।
मूँ बारवासी हो, अन थाँ मने आपणाँ घर में ने राक्यो, मूँ नांगो हो, अन थाँ मने गाबा ने पेराया। मूँ मांदो अन जेळ में हो, अन थाँ माराऊँ मलबा का वाते ने आया।’