11 “ईंका केड़े वीं दूजी कुवारिया छोरियाँ भी आन केबा लागी, ‘हो मालिक, हो मालिक, माकाँ वाते कमाड़ खोल दो।’
वीं टेम ईसू क्यो, हरग को राज वीं दस कूँवारी छोरियाँ का जस्यान वेई जी आपणाँ दिवा लेन बींदऊँ मलबा गी।
वणी क्यो, ‘मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ, मूँ थाँने ने ओलकूँ हूँ।’”
जद्याँ घर को मालिक पोळ का कमाड़ बन्द कर देवे अन थाँ बारणे ऊबा वेन पोळ की हाँकळ वजान केवो, ‘ओ स्वामी जी, माकाँ वाते कमाड़ खोल दो।’ “वो जबाव दे के, ‘मूँ थाँने ने जाणूँ हूँ अन थाँ कटा का हो?’