तो वणी दास को मालिक अस्या दन आ जाई के, वो वींकी वाट ने नाळतो वेई अन अस्यी टेम जिंने वो जाणतो भी ने वेई, वीं टेम वो अई जाई। अन मालिक वींने टुका-टुका कर देई अन वींने बना विस्वास करबावाळा का बसमें राक देई।”
“थाँ अबराम, इसाक, याकूब अन नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने परमेसर का राज में देको, पण यद्याँ थाँने परमेसर का राजऊँ बारणे काड़ दिदा जाई, जटे तो बेस रोवणो अन दात पिसणाईस वेई।