“हूँस्यार रेज्यो! काँके मूँ चोर की जस्यान अणाचेत को आऊँ हूँ। धन्न हे वीं ज्यो जागता रेवे हे, अन आपणाँ गाबा हमाळी राके हे, जणीऊँ वीं उगाड़ा ने रेई अन मनक वाँने नांगा ने देकी।”
मूँ थाँरा कामाँ ने, थाँरा परेम ने, विस्वास ने, थाँरी सेवा ने अन थाँरा धीरज ने जाणूँ हूँ, अन मूँ ओ भी जाणूँ हूँ के, अबे थूँ ईं पेल्याऊँ ज्यादा हेलो काम करे हे।