44 ईं वाते थें भी त्यार रेज्यो, काँके जीं टेम का वाते थें होचो भी ने हो, वीं घड़ी मनक को पूत आ जई।
काँके जस्यान बिजळी उगमणीऊँ आतमणी तईं चमके हे, वस्यानीस मनक का पूत को भी आवणो वेई।
“ईं वाते थें भी जागता रो, काँके थाँ ने जाणो हो के, थाँको परबू कणी दन अई जावे।
पण ओ जाण लो के, यद्याँ घर का मालिक ने आ खबर वेती के, चोर कणी टेम आई तो जागतो रेतो अन घर में चोरी ने वेबा देतो।
“जद्याँ वीं लेबा ने जारी ही, तो बींद आ पूग्यो अन ज्यो त्यार ही, वीं तो वाँका हाते ब्याव में परीगी अन पछे कणी कमाड़ बन्द कर दिदा।”
तो पछे ईसू क्यो, “ईं वाते हेंचेत रेवो, काँके थाँ ने तो वीं दन ने जाणो हो, ने वीं टेम ने, जद्याँ मनक को पूत आई।”
पण, थाँ यो ज्यान राको के, यद्याँ घर को मालिक जाणतो के, चोर कणी घड़ी आई, तो वो जागता रेवे अन आपणाँ घर में चोरी ने वेवा देतो।
अन थाँ भी त्यार रेवो, काँके जणी टेम थाँ होचो भी कोयने, वणी टेम मूँ मनक को पूत अई जाऊँ।”
ईं वाते जागता रो अन हरेक टेम परातना करता रेवो, ताँके थाँ अणा हारी आबावाळी आपतीऊँ बचन अन मूँ मनक का पूत का हामें ऊबा रेवा के जोगा बण सको।”
थाँकी नरमाई हाराई मनकाँ का बचमें दिके। आद राको परबू को पाछो आणो नके हे।
हो भायाँ, एक दूजाँ पे मती बड़बड़ावो, ताँके थाँ दोसी ने ठेरो। देको, न्याव करबावाळो बारणा आगेईस ऊबो तको हे।
ईं वाते आवो आपाँ राजी वेन खुसी मनावा, अन वाँकी जे-जेकार करा, काँके उन्याँ की ब्याव की त्यारी पुरी वेगी हे अन वींकी बिदणी वीं सज-धज ने त्यार बेटी हे।