वे देक्यो के, चेलाऊँ नाव ने आगे डगाणो घणो भारी पड़रियो हे, काँके वइरो वाँके हामे चालरियो हो। तो भाग-फाट्याँ के लगे-भगे वो समन्द पे चालतो तको वाँका नके आयो अन वाँकाऊँ आगे निकलणो छातो हो,
“हूँस्यार रेज्यो! काँके मूँ चोर की जस्यान अणाचेत को आऊँ हूँ। धन्न हे वीं ज्यो जागता रेवे हे, अन आपणाँ गाबा हमाळी राके हे, जणीऊँ वीं उगाड़ा ने रेई अन मनक वाँने नांगा ने देकी।”
ईं वाते जणी हिक ने थाँ हूणी ही, वींने आद करो अन आपणो मन बदलो अन वीं हिक का जस्यान चाल चालो। जद्याँ थूँ अस्यान ने करी, तो मूँ चोर का जस्यान अणाचेत को थाँरा नके अई जाऊँ अन थने पतो भी ने पड़बा देऊँ।