38 काँके जस्यान जळ-परलयऊँ पेल्या का दनाँ में, जणी दन तईं नूह नाव में ने चड़यो हो, वीं दन तईं लोग-बाग खाता-पिता हा अन वाँमें ब्याव वेता हा।
काँके पाच्छा जी उठबा केड़े ब्याव ने वेई, पण वीं हरग में परमेसर का हरग-दुताँ का जस्यान वेई।
अन आपणी आत्माऊँ केवूँ के, “आत्मा, थाँरा पा घणा वरा का वाते धन-दोलत हे। आणन्द का हाते खा अन पीं अन राजी-खुसी रे।” ’
पण, यद्याँ वी दास होचबा लाग जावे के, ‘माँके मालिक के आबा में आलतरे टेम हे,’ अन नोकर-चाकर ने मारबा-कुटबा अन खाबा-पिबा अन नसा में धुत वेवा लागे।
“ईं वाते थाँ हेंचेत रो, अस्यो ने वे के, थाँ खाबा-पिबा में अन दनियाँ की चन्ता-फिकर में ने पड़ जावे अन वी दन फंदा का जस्यान थाँका ऊपरे अणाचेत आ जावे।