जद्याँ ईसू जेतुन का मंगरा पे बेट्या तका हा, तो चेला अकेला वाँका नके आन क्यो, “माने बता के, ईं बाताँ कदी वेई? थाँके आबा को अन जग का अन्त को कई हेन्याण वेई?”
“वीं टेम मनक का पूत का आबा को हेन्याण आकास में परगट वेई। तद्याँ धरती पे हारी जाता का मनक हाका-भार करी अन मनक का पूत ने तागत अन मेमा का हाते हरग का वादळा पे परगट वेता देको।
विस्वास करबा की वजेऊँ नूह भी वणा बाताँ ने ज्यो वींने दिकई कोयने दिदी ही। ईं बारा में चेतावणी पान परमेसर की दरपणी का हाते आपणाँ परवार ने बंचाबा का वाते जाँज बणायो हो, अस्यान करन वणी दनियाँ ने दोसी ठेराई अन वो धारमिकता को वारिस बणग्यो, ज्यो विस्वास करबाऊँ आवे हे।
परमेसर वीं पुराणी दनियाँ ने भी कोयने छोड़ी, पण वो नूह ज्यो धारमिकता को परच्यार करिया करतो हो, वींने अन हात ओर मनकाँ ने जद्याँ तईं बंचातो रियो, तद्याँ तईं पापी मनकाँ की दनियाँ को बाड़ऊँ नास ने वेग्यो।