19 “वाँ दनाँ वीं लुगायाँ जी गरबवती वेई अन ज्याँके दूद पीता बाळक वेई, वाँका वाते वे दन घणा दुक भरिया वेई।
अन ईसू वाँने केवा लागा, “कई थूँ हुणे हे के, ईं कई केवे हे?” ईसू वाँने क्यो, “कई थाँ सास्तर में ने भण्यो, ‘छोरा-छोरी अन दूद पिवता फोरा बाळकाँ का मुण्डाऊँ थाँ घणी जे-जेकार करई हे’?”
अन ज्यो खेता में वेवे, वो आपणाँ गाबा लेबा ने पाछो भी ने फरे।
परातना करिया करो के, थाँने हियाळा का दनाँ में कन आराम का दन नाणो ने पड़े।
वणा दनाँ वे लुगायाँ जी गरबवती वेई अन ज्याँके दूद पीता बाळक वेई, वाँके वाते घणो अबको टेम वेई, काँके अणीऊँ बचन दोड़ ने सकी। काँके वीं टेम में धरती पे मोटा-मोटा कळेस अन अणा लोग-बागाँ का ऊपरे परमेसर को कोप वेई।