चेला ने गरू का बराबर वेवा में अन हाळी ने मालिक का बराबर वेवा मेंईस संतोक करणो छावे। यद्याँ वीं घर का मालिक ने बालजेबूल केवे, तो वाँका घर का लोगाँ ने ओरी हेलो बुरो काँ ने केई?
जदी पतरस बोल्यो अन ईसुऊँ क्यो, “हो गरू, आ बात घणी रुपाळी हे के, माँ हारई अटे हा। माने तीन टापाँ बणाबा दे। एक थाँके वाते, एक मूसा के वाते अन एक एलिया का वाते।”
वो एक दन राते ईसू का नके आन क्यो, “हो गरुजी, माँ जाणा हाँ के, थाँ गरुजी हो अन थाँ परमेसर का आड़ीऊँ खन्दाया तका हो, काँके अस्या परच्या, जी थाँ बतावो हो, यद्याँ परमेसर वाँका हाते ने वेवे, तो वो ने बता सके हे।”
अन माँ खुद को परच्यार ने कराँ हाँ पण परबू का रूप में ईसू मसी को परच्यार कराँ हाँ अन माँ माकाँ बारा में तो अस्यान केवाँ हाँ के, माँ ईसू का मस थाँका दास हाँ।
मूँ यहुन्नो ज्यो थाँको भई हूँ मूँ ईसू के दुक में, धीरज में अन राज में थाँको हण्डाळ्यो हूँ। मने देस निकाळो दिदो ग्यो, जिंकी वजेऊँ मूँ पत्तमुस नाम का टापू में हूँ। काँके मूँ परमेसर का वसन अन ईसू मसी की गवई थाँने देतो हो।
तद्याँ मूँ वींकी जे-जेकार करतो तको वीं हरग-दुत का आगे धोक लाग्यो। पण वणी माराऊँ क्यो, “अस्यान मती करे! काँके मूँ तो थाँरो अन थाँरी हण्डाळ्याँ का हाते परमेसर को दास हूँ। जणापे ईसू मसी की गवई देबा की जिमेदारी हे। थूँ परमेसर के धोक लाग, काँके ईसू मसी की गवई आगेवाणी की आत्मा हे।”
पण वणी माराऊँ क्यो, “थूँ अस्यान मती कर, काँके मूँ थाँरो अन थाँरा भायाँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन ईं किताब की बाताँ ने मानबावाळा का लारे को दास हूँ। बेस थूँ परमेसर की भगती कर।”