“हो कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ पोदिनो अन सोप, अन जीरा को दसमो हिस्सो तो देवो हो, पण थाँ नेमा की खास बाताँ ने छोड़ देवो हो। जस्यान के दया, अन विस्वास अन न्याव ने छोड़ दिदो हे। पण अणीऊँ तो ओ हव हो के, थाँ अणा खास बाताँने ने छोड़ता अन वणा ने भी करता रेता।
अणी बात ने हूँणने ईसू क्यो, “ओ मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा थाँने धिकार हे। थाँ अस्यो बोज जिंने उठाणो भी घणो दोरो हे। मनकाँ रे ऊपरे लादो हो। पण, थाँ खुद वणी बोज के आपणी आँगळीऊँ भी टेको ने देणो छावो हो।
काँके वीं ज्याको खतनो वेग्यो हे वीं खुद तो मूसा का नेमा को पालण ने करे हे, पछे भी वीं छावे हे के, थाँ भी खतनो करावो, ताँके थाँके अणी देह का रिवाज मानबा पे वीं मेपणो कर सके।
पण मूँ थुआतीरा मण्डली का वणा मनकाँ ने केणो छावूँ हूँ ज्यो वीं लुगई की हिक ने ने माने अन सेतान की भेद वाळी बाताँ ने ने जाणे। मूँ थाँका पे ओरुँ बोज ने नाकूँ।