“हो कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ आरास ढोळी तगी कबराँ का जस्यान हो ज्यो ऊपरेऊँ रुपाळी नजरे आवे हे, पण मयनेऊँ मरिया तका मनकाँ का हाड़क्या अन हारई तरिया की हुगली बाताँऊँ भरी तकी हे।
“ओ मारा भई-लोगाँ, मूँ पूरा भरोसाऊँ आपणाँ बड़ाबा दाऊद का बारा में थाँने बता सकूँ के, वींकी मोत वेगी अन वींने गाड़ दिदो, अटा तईं के, वींकी कबर अटे आज भी मोजुद हे।