“हो कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ आरास ढोळी तगी कबराँ का जस्यान हो ज्यो ऊपरेऊँ रुपाळी नजरे आवे हे, पण मयनेऊँ मरिया तका मनकाँ का हाड़क्या अन हारई तरिया की हुगली बाताँऊँ भरी तकी हे।
“वीं आपणाँ हाराई काम लोगाँ ने बतावा का वाते करे हे। वीं हात अन माता पे बांदबा वाळा आपणाँ ताबीजा ने जिंमें वीं सास्तर ने लिकता हा, वाँने मोटा करे हे अन आपणी जोळ्या ने वदावे हे। ताँके मनक वाँने धरमी हमजे।
ईंपे ईसू वाँने क्यो, “थाँ अस्या लोग-बाग हो, जी मनकाँ का हामे आपणाँ खुद ने धरमी बतावे हे, पण परमेसर थाँका मन ने जाणे हे। मनक जिंने मोटा हमजे हे, वो परमेसर की देकणी में कई ने हे।