22 ज्यो हरग की होगन खावे हे, वो परमेसर की गाद्दी का अन वींपे बिराजबावाळा का भी होगन खावे हे।
पण मूँ थाँकाऊँ यो केवूँ हूँ के, कदी होगनई मती खावो, ने हरग की, काँके वटे परमेसर की गाद्दी हे।
“‘परबुजी केवे, हरग मारो आसन अन धरती मारा पगाँ को बाजोट्यो हे। मारा वाते थाँ कस्योक घर बणावो? अन अस्यी कस्यी जगाँ हे जटे मूँ रियाम्बो ले सकूँ?