18 “पछे थाँ अस्यान भी केवो हो के, ‘यद्याँ कुई वेदी की होगन खावे तो कई ने, पण ज्यो चड़ावो वींपे हे, यद्याँ कुई वींकी होगन खावे, तो वींने वाँ होगन पुरी करणी जरूरी हे।’
“ओ आन्दा अगुवाँ, थाँने धिकार हे। थाँ केवो हो के, ‘यद्याँ कुई मन्दर की होगन खावे हे तो कई ने, पण यद्याँ कुई मन्दर का होना का होगन खावे, तो वींने वींको पालण करणो जरूरी हे।’
पण, थाँ केवो के, यद्याँ कुई मनक आपणाँ बई-बापूऊँ केवे के, मारी जणी चिजऊँ थाँने नफो वे सकतो हो वा तो कुरबान हे, जिंको अरत हे ‘परमेसर का वाते अलग किदो तको तोफो।’