17 हो आन्दा वेण्डा मनकाँ, कूण मोटो हे, होनो कन वो मन्दर जीऊँ होनो पुवितर वेवे हे?
“पछे थाँ अस्यान भी केवो हो के, ‘यद्याँ कुई वेदी की होगन खावे तो कई ने, पण ज्यो चड़ावो वींपे हे, यद्याँ कुई वींकी होगन खावे, तो वींने वाँ होगन पुरी करणी जरूरी हे।’
ओ आन्दा, कूण मोटो हे, चड़ावो कन वेदी ज्याऊँ चड़ावो पुवितर वणे हे?
काँके पुवितर करबावाळो ईसू अन पुवितर वेबावाळा मनक हे, वीं हाराई एकीस परवार का हे। ईं वाते ईसू वाँने आपणाँ भई केता तका हरमा ने मरे हे।